THE POWER OF NOW PDF

13.11.2023

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“THE POWER OF NOW PDF” से अपनी वास्तविक क्षमता को उजागर करें, वर्तमान को अपनाएं, अपना भविष्य बदलें.”

नई किताबों की दुनिया में आज हम ‘द पावर ऑफ नाउ’ नाम की एक दिलचस्प किताब की दुनिया में जाएंगे। इस पुस्तक की मदद से हम वर्तमान क्षण में जीने की कला सीखेंगे और इस प्रकार हम अपने जीवन में तनाव और भय को कम करने, विचारों की स्पष्टता, रिश्तों में सुधार जैसे कई लाभों के बारे में जानेंगे। संक्षेप में देखे तो यह किताब आपके जीवन को खुशहाल बनाने का एक आसान तरीका है।

THE COVER BOOK OF THE POWER OF NOW PDF

लेखक से मिलें

Eckhart Tolle जर्मन में जन्मे आध्यात्मिक शिक्षक और लेखक हैं, जो आध्यात्मिकता और Mindfulness में अपनी परिवर्तनकारी प्रयोगो के लिए जाने जाते हैं। वह एक अद्भुत व्यक्ति हैं जिन्होंने कई अन्य लोगों को खुद को खोजने और दुनिया से जुड़ने में मदद की है। 

टोले की आध्यात्मिक ज्ञान की यात्रा आसान नहीं थी। अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ का अनुभव करने से पहले वह कई वर्षों तक गहरे अवसाद और निराशा की भावनाओं से गुज़रे थे। एक गहन अहसास जिसने उनके जीवन की दिशा हमेशा के लिए बदल दी। इसी जागृति से उन्होंने “द पावर ऑफ़ नाउ” में पाए जाने वाले ज्ञान और शिक्षाओं पुस्तक में उजागर किया हैं। 

किताब के बारे में

“THE POWER OF NOW” एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक जो पाठकों को सच्ची खुशी और ज्ञान की कुंजी के रूप में वर्तमान क्षण में रहने के महत्व को अच्छे से समझाता हैं। इस पुस्तक में, टोले ने मानव चेतना की प्रकृति, अहंकार और हमारे दिमाग को परेशान करने वाली निरंतर मानसिक बकवास के बारे में अपनी महत्वपूर्ण अनुभवको पाठको के साथ साझा किया है।

इसी अनुभव के सहारे हम भी अपने जीवन को पूरी तरह से बदलने की कोशिश करेंगे.

इस किताब में टोले ने हर अवधारणा को बड़ी ही स्पष्टता और सरलता से समझाया है। चाहे उनकी पृष्ठभूमि या मान्यता कुछ भी हो, वो अपने जीवन में इसे आसानी से अपना सकते है । वह पाठकों को अतीत के बोझ और भविष्य की चिंताओं से मुक्त होकर वर्तमान क्षण की सुंदरता और शांति का आनंद लेने के सरल और आसान तरीके बताते हैं।

जो लोग तनाव और चिंता से अभिभूत महसूस करते हैं। जो लोग आंतरिक शांति और खुशी की तलाश में हैं। एक व्यक्ति जो व्यक्तिगत विकास और नकारात्मक विचारों से मुक्ति चाहता है यह किताब उनके लिए है। इसमें आपकी आंतरिक चेतना को जगाने और आपको उद्देश्यपूर्ण और स्पष्टता वाला जीवन जीने के लिए आपको सशक्त बनाने की क्षमता है।

इस THE POWER OF NOW pdf में, हम पुस्तक में उल्लिखित बुनियादी अवधारणाओं और व्यावहारिक चरणों का पता लगाएंगे, जो आपको टोल की शिक्षाओं को अपने दैनिक जीवन में लागू करने में मदद करेंगे।

अतीत और भविष्य का बोझ

उस समय के बारे में सोचें जब आप स्वयं को अतीत के पछतावे या भविष्य की चिंताओं के विचारों में डूबा हुआ पाते हैं। तब आपको इसका एहसास होता है कि आप पर विचारो का कितना बोझ हैं। इस बोझ के प्रभाव को सही मायने में समझने के लिए, THE POWER OF NOW pdf के जरिये कुछ व्यावहारिक और सुंदर उदाहरणों के साथ इस अवधारणा का पता लगाएं।

कल्पना करें कि आपका दिमाग एक सिनेमाघर की तरह है जहां विचारों की फिल्में चलती हैं। इस थिएटर में, दो प्रकार की फिल्में लगती हैं: एक अतीत की यादें और दूसरी भविष्य के विचार। वास्तव में यह सारी आकर्षक फिल्में हैं जो हमेशा आपका ध्यान खींचते रहती हैं।

परतुं , इस कित्ताब में बताया गया है की इस थिएटर में चलने वाली सबसे खूबसूरत और अद्भुत फिल्म “NOW” यानी ‘वर्तमान क्षण’ हैं । जहां जीवन इसी क्षण घटित हो रहा है। यह आपके द्वारा अब तक देखी गई सबसे रोमांचक और जादुई फिल्म हो सकती है। जो आपको कई रोमांचक अनुभव प्रधान करने के लिए सक्षम है।

हमेसे हर एक ने अपने जीवन में कभी न कभी अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंताओं का अनुभव किया है। यह वही बोझ हैं जो वर्तमान का पूरा आनंद लेने की हमारी क्षमता को कम करता हैं। ‘द पावर ऑफ नाउ पीडीएफ’ के माध्यम से अनावश्यक सामान/विचारों से छुटकारा पाने के तरीके यहां दिए गए हैं। जिन्हें “द पावर ऑफ नाउ” पुस्तक में बहुत ही सरल तरीके से समझाया गया है। ताकि आप जीवन को अधिक खुशी से और हल्के मन से अनुभव कर सकें।

समस्या का समाधान

THE IMAGE TRY TO EXPLAIN THE POWER ON NOW

अगर आप भी अतीत या भविष्य के बोझ से परेशान हैं , तो इसे ध्यान से पढ़े और अपने जीवन में इसे अच्छी तरह से उपयोग में लाये।

“द पावर ऑफ नाउ” में एकहार्ट टॉले अतीत या भविष्य के विचारों में खोए रहने के बजाय पल में मौजूद रहने के महत्व पर जोर देते हैं। शुरुवाती दिनों में आपको अपनी आदत के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता होती है।

  • स्वीकार करना :- यहाँ स्वीकार करने का अर्थ है यह स्वीकार करना कि आपको अतीत के बारे में सोचते रहने या भविष्य के बारे में चिंता करने की आदत है। इसका मतलब अगर आप को भी अतीत के बारे में सोचते रहने या भविष्य के बारे में चिंता करने की आदत है तो इसे स्वीकार करे।
  • जागरूकता से शुरुआत करें: 
  • स्टेप १ : इस बात पर ध्यान दें कि आपका मन कहाँ जाता है। उन क्षणों के प्रति सचेत रहें जब आपका मन अतीत में यात्रा कर रहा हो, जो घटना आपके साथ हो चुकी है, उसके बारे में सोच रहा हो, या भविष्य के बारे में सोच रहा होगा, इस बात की चिंता कर रहा हो कि “भविष्य में क्या होगा”।
  • स्टेप २:- अब अपना दिमाग वापस लाओ :-
    जब आप अपने विचारों को ऐसा करते हुए पाते हैं, तो कृपया और धीरे से अपने दिमाग को वर्तमान क्षण में वापस ले जाएँ। आप अपने दिम्माग को सरल वाक्यांश का उपयोग करके आदेश दे सकते है जैसे कि “यहाँ, वर्तमान में रहो”। यह आपको इस बात पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है कि अभी आपके सामने क्या हो रहा है। यह आपके दिमाग को वर्तमान क्षण में वापस लाने में मदत करता है ,इस प्रक्रिया में आप अपने भटके हुए मन को वर्तमान क्षण में लेकर आते हैं।

अतीत के बारे में सोचने या भविष्य के बारे में चिंता करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह दो कदम उसका जीवन बदलने के लिए अतिउत्तम उपाय हैं। जब आप इस बात पर ध्यान दें कि आपका मन किधर जाता है इससे आप के अंदर में

तनाव कम होना : अपने विचार पैटर्न के प्रति जागरूक होकर, आप पहचान सकते हैं कि आपका दिमाग कब अतीत में अटका हुआ है या भविष्य की ओर दौड़ रहा है। यह जागरूकता आपको उन विचारों पर ध्यान देने में मदद करती है जो आपको तनावग्रस्त और चिंतित महसूस कराते हैं। यह उन तनाव को निर्माण करनेवाले विचारों को, आपको बुरा महसूस कराने से पहले ही पकड़ने जैसा है। अपने विचारों के प्रति जागरूक रहना तनाव के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य कर सकता है, जिससे इसे प्रबंधित करना और अधिक आराम महसूस करना आसान हो जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: कल्पना करे की आपका मन एक बगीचा है और आपके विचार एक बीज हैं। कभी-कभी, जब आपका मन अतीत में अटका रहता है या भविष्य के बारे में चिंतित रहता है तो ये बीज चिंता और उदासी उत्पाद ही उगाएंगे। यह ऐसे अवांछित पौधों से भरा एक बगीचा बन जाएगा जिसे आपको फायदा होना तो दूर ज्यादा नुकसान ही होगा।

यह एक मास्टर माली बनने जैसा है जो यह पहचानता है की कोनसे पौदे यानी विचार आपके मन के बगीचे को नुकसान पहुंचा सकते है । इससे पहले कि वे आपके मानसिक उद्यान पर कब्ज़ा कर लें, आप उन अवांछित पौदे या विचारो को हटा सकते हैं। यह जागरूकता आपको अपने विचारों पर नियंत्रण प्रदान करती है, जैसे एक माली अपने बगीचे को नियंत्रित करता है।

परिणामस्वरूप, आपका मानसिक उद्यान और अधिक सुखद हो जाएगा । आपके पास चिंता और उदासी के खरपतवार कम होंगे, जिससे मन की स्थिति अधिक खुश और स्वस्थ हो जाएगी । यह तकनीक आपके विचारो को सुन्दर और सकारात्मक विचारों से भर देगी और आपके मानसिक उद्यान की देखभाल करेगी।

और जब आप अब अपना दिमाग वापस वर्तमान में लाते है तो इस तकनीक की वजह से

  • वर्तमान में उपस्थिति: धीरे से अपने दिमाग को वर्तमान क्षण में वापस लाने का मतलब है कि आप अपने मन को या अपने विचारो को अपने अतीत या भविष्य की विचारो के घने बादलो से दूर एक बादल रहित आकाश में उड़ा रहे हो जो बादल आपको विचलित कर रही थे , पर अब आप उस बादल रहित और साफ़ सुधरे आकाश में उड़ेगे जिससे आपकी जर्नी बहुत ही सुखद और आसान हो जाएगी।
  • बेहतर निर्णय लेना: जब आपका दिमाग वर्तमान में होता है तो आप अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंताओं से घिरे नहीं रहते। जिससे आप अपने सामने के सभी रास्ते और सारे विकल्प देख सकते हैं। आपके निर्णय अधिक विचारशील और बुद्धिमान हो जाते हैं क्योंकि आप अतीत के पछतावे से परेशान नहीं होते हैं या उन चीज़ों के बारे में चिंतित नहीं होते हैं जो अभी तक नहीं हुई हैं।
  • वर्तमान क्षण का आनंद और संतुष्टि की गहरी अनुभूति लाता है। अतीत में क्या किया गया है या बाद में क्या हो सकता है, इसमें खो जाने के बजाय, हम वर्तमान में जो कर रहे हैं और वह हमें क्या दे रहा है, उसमें सच्चा आनंद पा सकते हैं।

कल्पना कीजिए कि आप सीताफल के स्वाद वाली आइसक्रीम खा रहे हैं, और जब आप इसका पहली बार स्वाद लेते हैं, तो आप तुरंत उस आइसक्रीम के बारे में सोचने लगते हैं जो आपने कल खाई थी, “मैंने कल जो आइसक्रीम खाई थी वह कितनी खराब थी , मुझे इसके बजाय इसी आइसक्रीम खाना चाहिए था।” , और कल से में यही आइसक्रीम खाऊँगा।” ऐसे विचार आपको उस सीताफल के स्वाद का आनंद नहीं लेने देंगे जो आप इस समय खा रहे हैं। इसके बजाय, यदि आप उस पल में खा रहे प्रत्येक निवाले पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप उस पल में मिलने वाले आनंद को दोगुना कर सकते हैं।

संक्षेप में देखा जाए तो ये कदम व्यक्तियों को अतीत पर ध्यान केंद्रित करने या भविष्य के बारे में चिंता करने के चक्र से मुक्त होने में मदद करते हैं। मन को वर्तमान पर केंद्रित रखकर, वे अधिक शांतिपूर्ण, कम चिंतित और खुशहाल जीवन जीने में सक्षम होते हैं।

अहंकार को पहचानना

जब अहंकार की बात आती है, तो हमें एहसास होता है कि यह हमारे दिमाग की आवाज़ है जो थोड़ी दबंग है। वह प्रभावी ढंग से दूसरों पर हावी होना चाहती है और हमेशा चाहती है कि चीजें उसके अनुसार चले। यह हमारे अंदर एक अन्य  व्यक्ति या चरित्र,  की तरह है जो आपको लगातार बता रहा है कि आपको क्या करना चाहिए, आपके पास क्या होना चाहिए और आपको कौन होना चाहिए।

पेचीदा बात यह है कि यह अंदर का दूसरा व्यक्ति या चरित्र, अहंकार अक्सर आपको अटकाए रखता है। इसे बदलाव या गलत होना पसंद नहीं है. इसलिए, जब आप एक व्यक्ति के रूप में सीखने या विकसित होने का प्रयास कर रहे हैं, तो यह रास्ते में आ सकता है। यह कह सकता है, “मैं पहले से ही सब कुछ जानता हूं,” या “मैं इससे अच्छा कर सकता हूं।”

क्या अहंकार को पहचानना आसान है? आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि यह कैसा दिखता है. 

लेखक अहंकार को पहचानने के लिए उदाहरण देते हैं कि रोजमर्रा की जिंदगी में अहंकार कैसे प्रकट होता है। यह तब देखा जा सकता है जब आप किसी तर्क में सही होने पर जोर देते हैं, खुद को साबित करने की जरूरत महसूस करते हैं, या गुस्से को जाने नहीं दे पाते। यह तब भी देखा जा सकता है जब आप इस बात की बहुत अधिक चिंता करते हैं कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं या जब आप दूसरों से अपनी तुलना करते हैं।

  • अहंकार को अपनी आतंरिक जिद या हमारे उस हिस्से के रूप में भी समझ सकते है जो गलती होने पर स्वीकार करने में अनिच्छुक होता है। यह वैसा ही है जैसे आप किसी बहस में हों और इस बात पर ज़ोर देते हों कि आप सही हैं, भले ही आप विषय के बारे में बहुत कम जानते हों। क्योंकि अहंकार यह स्वीकार करना पसंद नहीं करता कि वो गलत है। यह आंतरिक जिद ही है जो कभी-कभी हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करने और उनसे सीखने से रोकती है।
  • कई बार हमें दूसरों से बेहतर बनने की जरूरत महसूस होती है या हम, लोगों के सामने बेवकूफ दिखने से डरते हैं। यह भावना हमारे अहंकार से उत्पन्न होती है, जो श्रेष्ठता की चाहत रखता तो हैं पर गलतियाँ करने से कतराता है। यह हममें से वह हिस्सा है जो हमेशा शीर्ष पर रहना चाहता है और अपनी खामियों को स्वीकार करता तो है,पर यही कमजोरी दिखाने से डरता है।
  • क्या आप इसलिए द्वेष पाल रहे हैं क्योंकि आप किसी ऐसे व्यक्ति को माफ नहीं करना चाहते जिसने आपको चोट पहुंचाई है? यह बदला लेने और न छोड़ने का अहंकार है। जहां हम किसी के प्रति अपने मन में क्रोध को दबाए रखते हैं क्योंकि हम उस व्यक्ति को माफ करने को तैयार नहीं हैं जिसने हमें चोट पहुंचाई है। बदला लेने की इस प्रवृत्ति और उन नकारात्मक भावनाओं को दूर करने में कठिनाई को अहंकार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यह ऐसा है जैसे हमारे मन का एक हिस्सा यह सुनिश्चित करना चाहता है कि जिस व्यक्ति ने हमें चोट पहुंचाई है वह अपने कार्यों के लिए सजा पाए और उसे भी दर्द हो।

अहंकार आपके उस बुरे दोस्त की तरह है जो गलत होना या एक कदम पीछे हटना पसंद नहीं करता। यह आपको आपके आराम क्षेत्र में फंसाकर और आपको सीखने और बदलने से रोककर आपके व्यक्तिगत विकास को सीमित करता है।

समस्या का समाधान

“THE POWER OF NOW PDF” के जरिये हम अहंकार को पहचाना तो सिख गए अब हम लेखक द्वारा समझाए गए मूल्यवान समाधान को अपने जीवन में लाने के बारे मे समझेंगे।

अहंकार से दूर जाने की क्रिया

"अहंकार के बिना जियो, और असीमित अस्तित्व की स्वतंत्रता का अनुभव करो।"

एक पर्यवेक्षक बनें :- आप अपने विचारों और भावनाओं का पर्यवेक्षक बनें। अपने अहंकार को पहचाने और इसे क्रियान्वित होते देखें जैसे की आप अपने विचारो को टेलीविज़न पर देख रहे हो। इससे आपको यह समझने में मदद मिलती है कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है (निरंतन अभ्यास से आप इस तकनीक पर आसानी से सिख सखते हैं)।

जब आपको महसूस हो कि आपका अहंकार आप पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहा है, तो आप उसके आज्ञा का पालन न करे। यानी उस समय आपके मन में जो भी विचार आ रहे है उसे ध्यान से देखने का प्रयास करे। अपने विचारो के प्रति जागरूकता आपको वर्तमान के उस क्षण में लेकर आएगी जहाँ आप अपने प्रत्येक विचार को बडी ही साफ़ तरीके से देख सकते है जिससे आप आपको आपके अहंकार के पाश से मुक्त होने में मदत मिलती है।

अपने अहंकार का निरीक्षण और अपने विचारो के प्रति जागरूकता आपको वर्तमान के उस क्षण में लेकर आएगी जहाँ आप अपने सच्चे स्वाभिमान और अहंकार के बीच दूरी पैदा करते हैं और आप अपने प्रत्येक विचार को बडी ही साफ़ तरीके से देख सकते है जिससे आपको आपके अहंकार के पाश से मुक्त होने में मदत मिलती है।

विनम्र बनो:-
टॉले कहते हैं, “विनम्र बनो।” इसका मतलब यह है कि हमेशा इस बात पर ज़ोर न दें कि आप सही हैं। अगर आप जीवन में सीखने के लिए तैयार हैं, तो इसी विनम्रता के कारण आप एक बेहतर इंसान बन जाते हैं। यह रवैया आपको बेहतर बनाने और अधिक समझने में मदद करता है। इसलिए, विनम्रता के साथ अपनी गलती स्विकार करना खुदको बेहतर बनाने का एक तरीका है।

जब आप इन चरणों का पालन करते हैं, तो आप अनिवार्य रूप से अपने दिमाग को एक नया रूप दे रहे होते हैं। आप अपने विचारो को अहंकार से पीछे खींच रहे है। समय के साथ, आप देखेंगे कि आप स्वयं का अधिक समझदार और संतुष्ट संस्करण बनते जा रहे हैं। यह एक रोमांचक साहसिक यात्रा जैसा है जहां आप खोजकर्ता भी हैं और आपही खजाना भी, जिसकी आपको तलाश है।

नकारात्मकता 🙁

नकारात्मकता पर “THE POWER OF NOW” इस कित्ताब में व्यापक रूप में चर्चा की गई है, यह एक मानसिकता या विचार पैटर्न है जो निराशावाद, आत्म-संदेह, आलोचना, चिंता और जो सकारात्मक सिचुएशन में भी जो गलत है उस पर ध्यान केंद्रित करती है। यह एक मानसिक स्थिति है जहां हम अक्सर पिछली गलतियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं या भविष्य की अनिश्चितता पर चिंतित होते हैं, जिससे उदासी, तनाव और चिंता की भावनाएं पैदा होती हैं।

नकारात्मकता हम पर कैसे प्रभाव डालती है?

नकारात्मकता
  • भावनात्मक प्रभाव :- नकारात्मक विचार महत्वपूर्ण भावनात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। नकारात्मकता आमतौर पर दुःख, क्रोध और भय जैसी अप्रिय भावनाओं को जन्म देता है। जो आप पर भावनात्मक बोझ डाल सकता है और जीवन को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
  • तनाव और चिंता:- निस्संदेह, घटित घटना के पछतावे के बारे में लगातार सोचना या जो भविष्य में आने वाला है उसके बारे में चिंता करना लगातार तनाव और चिंता का कारण बन सकता है। चिंता की यह निरंतर स्थिति मानसिक और शारीरिक रूप से थका देने वाली हो सकती है।
  • व्यक्तिगत विकास में बाधा डालता है: नकारात्मकता आपके व्यक्तिगत विकास और आत्म-सुधार में बाधा के रूप में कार्य करती है। यह आपको परिचित, अनुत्पादक तरीकों में फंसाए रखता है और आपको प्रगति करने या आगे बढ़ने से रोकता है। यह एक ऐसे लंगर की तरह है जो आपको अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है।
  • तनावपूर्ण रिश्ते: नकारात्मक सोच दूसरों के साथ आपके रिश्तों में तनाव पैदा कर सकती है। इसके कारण आप लोगों के प्रति अधिक आलोचनात्मक, कम धैर्यवान और चिड़चिड़े हो सकते हैं। संक्षेप में, यह आपके और आपके आस-पास के लोगों के बीच दूरी पैदा कर सकता है, जिससे जुड़ना और साथ रहना कठिन हो जाता है।
  • जीवन में खुशियाँ कम होना:- नकारात्मक विचार आपके जीवन की खुशियाँ छीन सकते हैं। जिससे आप वर्तमान में मिल रही खुशियों को महसूस ही नहीं कर पाते.
  • स्वास्थ्य संबंधी निहितार्थ: शोध से यहाँ पता चला है की पुरानी नकारात्मक सोच और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के बीच एक संबंध होता है। तनाव, विशेष रूप से, शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

समस्या का समाधान

THE POWER OF NOW PDF के माध्यम से, हम व्यक्तिगत विकास के मार्ग पर नकारात्मकता को पहचानने और उस पर काबू पाने की तकनीक सीखेंगे। यह वर्तमान क्षण में जीने को प्रोत्साहित करता है, जहां नकारात्मकता की शक्ति कम होती है क्योंकि नकारात्मकता की शक्ति मुख्य रूप से अतीत या भविष्य के बारे में सोचने में होती है।

इन नकारात्मक विचार पैटर्न को छोड़ना और वर्तमान को अपनाना सीखकर, आप नकारात्मकता के हानिकारक प्रभावों को कम कर सकते हैं और अधिक शांति और कल्याण का अनुभव कर सकते हैं।

नकारात्मक विचारों को पहचानने और उन्हें दूर करने के कुछ आसान तरीके

  • अपने विचारों पर ध्यान दें: जैसे हमने पहले भी सीखा है आपके मन के अंदर क्या चल रहा है उस पर ध्यान दें यानी एक पर्यवेक्षक बनें। यदि आप अपने आप को नकारात्मक बातें सोचते हुए पाते हैं, जैसे “मैं यह नहीं कर सकता” या “मैं उतना अच्छा नहीं हूँ,” तो यह आपका पहला कदम है।
  • अपने आप से सवाल पूछो :- अपने आप से सवाल पूछो आप अपने उन विचारो पर अपने आप से सवाल पूछे , जब आप अपने विचारों पर सवाल उठाते है तब आप आपने विचारो के प्रति जागरूक होने लगते है। आप खुद से पूछें कि क्या ये नकारात्मक कहानियाँ सचमुच सच हैं या आपकी कल्पना मात्र है। क्या वे पुरानी घटनाओ से सबंधित है जो आपके मन में नकारात्मक भाव उत्पन्न कर रही हैं। अक्सर, आपको एहसास हो सकता है कि ये विचार केवल वे कहानियाँ हैं जो अब आपके जीवन में कोईभी महत्त्व नहीं रखती।
  • विचार को बदले :- कल्पना करें कि आपका दिमाग एक कमरे की तरह है, और उस कमरे में कई नकारात्मक विचार भरे पड़े हैं। जब आप एक नकारात्मक विचार को देखते हैं, तो आप उसे धीरे से दूर धकेल कर उसे सकारात्मक विचार से बदल सकते है।

उदाहरण के लिए, यदि आपके मन में विचार आता हैं कि, “मैं यह नहीं कर सकता,” तो इस विचार को पूरी तरह सोचने से पहले ही यानी “मैं यह नहीं ” इतने पर ही अपनी सांस को रोक ले और तब तक रोक कर रखे जब तक आपको घुटन महसूस नहीं होती। इससे आपकी विचार करने की क्षमता पूरी तरह से ख़त्म हो जायेगी फिर आप इसे “मैं यह कर सकता हूं” इस विचार के साथ बदल सकते है। यह आपके मन के अंदर की निराशा आने से पहले ही मुस्कान लाने का एक सटीक तरीका है , यह सरल अभ्यास आपको अपने दैनिक जीवन में अधिक सकारात्मक और सक्षम महसूस करने में मदद कर सकता है।

कृतज्ञता का अभ्यास करना:-
कृतज्ञता का अभ्यास करना यानी आपके जीवन की सभी अच्छी चीजों की एक मानसिक सूची बनाने और उसके प्रति सच्ची कृतज्ञता यानी दिल से आभार व्यक्त करना बस इतना ही है। उदाहरण के लिए, आप आरामदायक बिस्तर, गर्म भोजन, किसी प्रियजन की मुस्कान या सुंदर सूर्यास्त के लिए आभारी हो सकते हैं या आप अपनी अच्छी सेहत, अपने दो आँख, दो हात , पैर , अपने अच्छे रिलेशन के लिए आभारी हो सकते हैं। 

यह इन क्षणों का मानसिक स्नैपशॉट लेने और कहने जैसा है की , “हे ईश्वर, मै आज की सुन्दर सुबह के लिए आपका धन्यवाद करता हूँ।” कृतज्ञता एक जादू की छड़ी की तरह है जो सामान्य क्षणों को आनंद के स्रोत में बदल देती है। इन रोजमर्रा के आशीर्वादों को स्वीकार करने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने से, आप अपना ध्यान अपने जीवन में क्या गलत हो रहा है से हटाकर क्या सही हो रहा है उस पर केंद्रित कर देते हैं। यह आपके दिल में संतुष्टि और सकारात्मकता की भावना ला सकता है।

प्रतिरोध करना

यहाँ प्रतिरोध का मतलब किसी समस्या को स्वीकार करने या समाधान खोजने के बजाय उस समस्या को बनानेवाले के खिलाफ संघर्ष करने की क्रिया को संदर्भित करता है या मौजूदा समस्या की वास्तविकता से लड़ने, उसे नकारने या उसका विरोध करने की प्रवृत्ति है।

  • जब आप किसी समस्या का सामना बिना सोचे करते हैं, तो आप
    समस्या के बारे में परेशान, निराश या क्रोधित होते है।
    समस्या के लिए किसी न किसी को जिम्मेदार ठहराते हैं।
    इस उम्मीद में होते है कि आपकी ओर से कोई कदम उठाए बिना ही समस्या जादुई ढंग से गायब हो जानी चाहिए।
    या चीजों को उसी तरह से बार बार करने पर जोर देना,जिससे उस प्रोब्लेम में कोई भी फरक नहीं पड़ा हो।

संक्षेप में कहा जाए तो , प्रतिरोध करना यानी समस्या को स्वीकार न करना और समस्या के समाधान के लिए प्रयास न करने जैसा है। यह अधिक तनाव पैदा कर सकता है और समस्या को लम्बा खींच सकता है क्योंकि यह आपको संघर्ष की स्थिति में फंसाए रखता है और रचनात्मक समाधान या आंतरिक शांति खोजने से रोकता है।

संक्षेप में कहा जाए तो , प्रतिरोध करना यानी समस्या को स्वीकार न करना और समस्या के समाधान के लिए प्रयास न करने जैसा है। यह अधिक तनाव पैदा कर सकता है और समस्या को लम्बा खींच सकता है क्योंकि यह आपको संघर्ष की स्थिति में फंसाए रखता है और रचनात्मक समाधान या आंतरिक शांति खोजने से रोकता है।

जब आप जीवन में अनियंत्रित परिस्थितियों का विरोध नहीं करते यानी जिन चीज़ों पर आप नियंत्रण नहीं कर सकते उनसे लड़ते नहीं हैं, तो आपको अक्सर अधिक शांति मिलती है।
कल्पना कीजिए कि आप ट्रैफिक जाम में फंस गए हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसे आप बदल नहीं सकते हैं, ऐसी परिस्थिति में निराश या क्रोधित होकर इसका विरोध करने से अनुभव और अधिक अप्रिय हो जाता है। 

अब, इसे एक अलग दृष्टिकोण पर विचार करते है। अगर आप ट्रैफ़िक जाम को अपनी यात्रा का एक हिस्सा समझलेते है यानी जिन चीज़ों पर आप नियंत्रण नहीं कर सकते, उस परिस्थिति का तनाव लेने के बजाय,आप अपना लक्ष दूसरी अच्छी चीजों पर केंद्रित करते है जैसे कि आप अपना पसंदीदा संगीत चला सकते हैं या पॉडकास्ट का आनंद भी लें सकते है इससे आप समय का अधिकतम लाभ उठाते हुए यात्राको एन्जॉय कर सकते है। 

ट्रैफ़िक का विरोध न करके (जिन चीज़ों पर आप नियंत्रण नहीं कर सकते), बल्कि प्रवाह के साथ चलते हुए, आप एक अपरिवर्तनीय स्थिति को और अधिक सहनीय बनाने का एक व्यावहारिक तरीका ढूंढते हैं और जिससे आपकी यात्रा ज्यादा दुःखद होने के बजाय शायद थोड़ा सुखद भी हो सकती है । यह एक छोटा लेकिन व्यावहारिक उदाहरण है कि कैसे गैर-प्रतिरोध एक असुविधा को अधिक सुखद अनुभव में बदल सकता है।

प्रतिरोध न करने का अर्थ है चीजों को वैसे ही स्वीकार करना जैसे वे हैं, भले ही वे वैसी न हों जैसी आप उन्हें चाहते हैं। जीवन में, ऐसी कई चीज़ें हैं जिन्हें हम नियंत्रित नहीं कर सकते, जैसे मौसम या अन्य लोगों की गतिविधियाँ। गैर-प्रतिरोध का अर्थ है जब चीजें आपके अनुरूप न हों तो परेशान या क्रोधित होने के बजाय, उसे स्वीकार करना। शांत रहने और जीवन के उतार-चढ़ाव को अपनी आंतरिक शांति को भंग न करने देने का एक असरदार तरीका है।

THE POWER OF NOW PDF की मदद से हम टोल द्वारा बताई गई व्यावहारिक तकनीकों का अध्ययन करने जा रहे हैं जो आपको अपने दैनिक जीवन में बिना किसी प्रतिरोध के खुशहाल जीवन जीने की मास्टर कुंजी देगी।

रुकें और सांस लें:  कठिनाई या किसी अनचाही परिस्थिति के क्षणों में, अपने आप को कुछ क्षणों के लिए रोके। गहरी सांस लें, महसूस करें कि हवा आपके फेफड़ों में भर गई है, और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें। साँस लेने का यह जानबूझकर किया गया कार्य एक सौम्य लंगर के रूप में कार्य करता है, जो आपको वर्तमान क्षण में मार्गदर्शन करता है। यह एक सीधा लेकिन शक्तिशाली अभ्यास है जो सामने आने वाली चुनौती का जवाब देने से पहले थोड़ी राहत देता है। यह क्षणिक ठहराव स्थिति की अराजकता और आपके के बीच एक पुल बन जाता है, जो एक सचेत और संयमित दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है।

परिस्थितिको को स्वीकारे :- परिस्थितिको को स्वीकारे स्थिति का निरीक्षण करने और उसका मूल्यांकन करने या विरोध करने में जल्दबाजी किए बिना स्थिति को स्वीकार करने का अभ्यास शुरू करें।स्थिति को तुरंत लेबल करने की प्रवृत्ति को छोड़ें और इसके बजाय, समझने के लिए जगह दें।

नियंत्रण करने की कोशिश न करे :
यह स्वीकार करें कि जीवन में कुछ चीजें आपके हाथ में नहीं होती जिसे आप नहीं बदल सकते। इसे याद रखे की आपको हर विवरण को नियंत्रित नहीं करना है या चीजों को घटित होने के लिए मजबूर नहीं करना है। इसके बजाय, आप उस पर ध्यान केंद्रित करें जिसे आप प्रभावित कर सकते हैं या बदल सकते है।

अपने विचारों के साक्षी बनें: अपने दिमाग में चल रहे विचारों पर ध्यान दें, उन्ह विचारो को अपने पर हावी होने न दे। यह अपने विचारों को खुद पर नियंत्रण करने देने के बजाय उन पर नजर रखने जैसा है। ऐसा करने से, आपके साथ क्या हो रहा है और आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, के बीच थोड़ी सी जगह बनाते हैं। 

यदि आप खुद को चिंताओं के ढेर में फंसा हुआ पाते हैं या निराश महसूस कर रहे हैं, तो मानसिक रूप से पीछे हटने का प्रयास करें यानी आपने विचारो का निरिक्षण करे। इस तरह, आप अपने विचारो पर कार्य करने से पहले सोच सकते हैं, जिससे बिना सोचे-समझे तुरंत प्रतिक्रिया करने के बजाय सोच-समझकर प्रतिक्रिया देना आसान हो जाता है। यह अपने आप को बेहतर विकल्प चुनने के लिए अधिक समय देता है जिससे हमें निर्णय लेने में आसानी महसूस होती है।

सहानुभूति व्यक्त करें:
जब आप लोगों से बात करें तो चीजों को उनके दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करें। यदि आप सहमत हैं या असहमत हैं तो तुरंत निर्णय लेने के बजाय, यह समझने में थोड़ा समय लें कि वे क्या कहना चाहते है। उनके उद्देश्य को समझने की कोशिश करे। अपनी बात बताने से पहले सुनने की आदत डाले , भले ही उनके विचार आपसे अलग हों। यह सहानुभूति का द्वार खोलने और अपने दिमाग को विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और उनकी सराहना करने के लिए आपकी मदत कर सकता है।

खुद के प्रति नम्र रहे : कठिन समय में, स्वयं के प्रति नम्र रहें। जान लें कि ग़लतियाँ करना और चुनौतियों का सामना करना ऐसी चीज़ है जिससे हर कोई गुज़रता है। यह जीवन का एक हिस्सा है। अगर आपसे गलती होती भी है तो अपने आप से दयालु व्यवहार करें, जैसे कि आप कठिन समय से गुज़र रहे किसी मित्र के साथ व्यवहार करते हैं वैसा ही व्यवहार अपने आपसे करे। यह याद रखते हुए कि परिपूर्ण न होना कोई गुन्हा नहीं है, और कठिन समय में,आप जो भी कर रहे है वह सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं।

याद रखें, प्रतिरोध न करना एक कला है जो अभ्यास से ही हासील होगी। इन सरल कदमों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करके, आप धीरे-धीरे स्वीकृति, उपस्थिति और लचीलेपन की मानसिकता विकसित कर सकते हैं। जिससे निरंतर और छोटे-छोटे कदमों से वर्तमान में जीने की यात्रा अधिक सुलभ हो जाती है।

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